
Manthan - Ek Antaryatra
Published by Quill & Scribe, this 90-page paperback masterfully weaves together themes of self-discovery, contemplation, and spiritual awakening. The book transcends traditional poetry collections, serving as a mirror to one’s inner consciousness through carefully crafted verses that resonate with personal experiences and deep introspection.
Each poem invites readers to explore the depths of human emotion, consciousness, and existential questions. The author’s unique perspective combines philosophical depth with poetic beauty, making complex spiritual and emotional concepts accessible through elegant Hindi verses. Perfect for lovers of contemplative literature, this first edition features a stunning cover design with vibrant, abstract petals symbolising the blossoming of consciousness. Priced at INR 299, this collection is an invitation to embark on a meaningful journey of self-discovery through the power of poetry.
मंथन – एक अंतरयात्रा
वर्ग: कविता संग्रह / आत्ममंथन / दर्शन
“मंथन – एक अंतर यात्रा” एक ऐसा काव्य-संग्रह है जो केवल शब्दों में बँधी कविताओं का संग्रह नहीं, बल्कि आत्मा के तल से उठे हुए विचारों, भावनाओं और अनुभवों का प्रतिबिंब है। यह पुस्तक पाठक को भीतर की ओर यात्रा पर आमंत्रित करती है—एक ऐसी यात्रा जो केवल विचार नहीं, बल्कि अनुभूति है; केवल पंक्तियाँ नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार है।
इस संग्रह में संकलित कविताएँ लेखक के अपने भीतर के मंथन की उपज हैं। वे अनुभव जो कहे नहीं जा सकते, वे भावनाएँ जिन्हें छूना आसान नहीं, और वे प्रश्न जो शब्दों से परे हैं—इन सभी को कवि ने बड़ी सहजता से, गहराई और संवेदनशीलता के साथ शब्दों में ढाला है। हर कविता एक आत्मसंवाद है, जो पाठक के मन में कहीं गहराई तक उतरता है और उसे उसकी अपनी परतों से रूबरू कराता है।
“मंथन” का आशय केवल सोचने या विश्लेषण करने से नहीं है। यहाँ मंथन का अर्थ है:
भीतर उतरना, स्वयं से मिलना, और वहाँ से कुछ नया लेकर लौटना।
यह संग्रह जीवन के विभिन्न रंगों—प्रेम, पीड़ा, तृष्णा, आशा, स्वप्न, आत्म-खोज, और मौन—को एक आत्मीय सुर में पिरोता है।
लेखक ने कविताओं को केवल एक विधा के रूप में नहीं, बल्कि साधना के रूप में जिया है। ये रचनाएँ उनके आत्ममंथन का परिणाम हैं, जो कभी किसी गहरी भावना के रूप में प्रकट हुईं, तो कभी जीवन की कठोर सच्चाइयों से उपजे आत्म-संवाद के रूप में। यही कारण है कि ये कविताएँ पाठक को केवल सुंदरता नहीं, बल्कि सच्चाई का भी अनुभव कराती हैं।
क्यों पढ़ें यह पुस्तक?
यदि आप अपने भीतर के प्रश्नों से संवाद करना चाहते हैं।
यदि आप रचनात्मकता को साधना की तरह अनुभव करना चाहते हैं।
यदि आप कविता को केवल मनोरंजन नहीं, आत्म-चिंतन का माध्यम मानते हैं।
और यदि आप अपनी भावनाओं, अनुभवों और अस्तित्व के गहरे स्वरूप से जुड़ना चाहते हैं।
“मंथन – एक अंतर यात्रा” उन पाठकों के लिए है जो कविता को आत्मा की भाषा मानते हैं, जो शब्दों के पीछे छिपे मौन को सुनना जानते हैं, और जो अपने भीतर की यात्रा से कभी-कभी थककर नहीं, बल्कि बदलकर लौटना चाहते हैं।
यह पुस्तक न केवल पढ़ी जाती है, बल्कि धीरे-धीरे आत्मसात की जाती है।
आप तैयार हैं इस अंतर यात्रा के लिए?
