कैसा हसीन ख़्वाब कैसा यह विस्माद है
कुदरत का हमसे हो रहा अनोखा संवाद…
आओ एक कहानी सुनाऊँ अपने दिल की बताऊँ
बचपन का चंचल मन था और…
वक्त का अब क्या कहिए बहुत रंग बदलता है
तेज़ ना धीमा कभी…
निकला हूँ इसी उम्मीद से के इक दिन मंज़िल को पाना है
अभी अनभिज्ञ…
बेमौसम बरसात की तरह रूह को भीगा कर चले गये
सर्द पड़ चुके शोलों…
क्यूँ दिल और दिमाग़ की जंग सी छिड़ी रहती है ।
क्यूँ फिर भी…